हज़रत सय्यद अबदूर्रज़्ज़ाक़ गिलानी
रहमतुह अल्लाह अलैहि
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की विलादत बासआदत १८ ज़ीक़ाद ५२८हिज्री में बरोज़ इतवार को बग़दाद शरीफ़ में हुई। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का इस्म गिरामी अबदूर्रज़्ज़ाक़ रहमतुह अल्लाह अलैहि कुनिय्यत अबवालफ़राह और अबदुर्रहमान है। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का लक़ब ताज उद्दीन है। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत ग़ौस पाक रहमतुह अल्लाह अलैहि के पांचवें साहबज़ादे हैं। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की तालीम-ओ-तर्बीयत हज़रत ग़ौस पाक सय्यद अबदुलक़ादिर जीलानी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने की। इन्ही से आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को बैअत-ओ-ख़िलाफ़त का अज़ीम शरफ़ भी हासिल था।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हाफ़िज़-ए-क़ुरआन-ओ-हदीस थे और अपनी जलालीत इलमी की बना पर इराक़ के मुफ़्ती थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि में इंतिहा दर्जा की तवाज़ो -ओ-इनकिसारी थी। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि सब्र-ओ-शुक्र और अख़लाक़ हसना में मशहूर थे। ज़हदोतक़वा आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का तरह इमतियाज़ था। इलम-ओ-फ़नून के दरस-ओ-तदरीस के इलावा आप रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने वक़्त के अज़ीम मुनाज़िर थे। तलबा से निहायत अनस-ओ-मुहब्बत रखते थे। ग़रज़ आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की ज़ात पाक जामि अल्क़मा लात थी। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की ज़ात से बहुत से लोगों को फ़ैज़ पहुंचा और कसीर तादाद में लोग, आलम-ओ-फ़ाज़िल और दरवेश आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की सोहबत से मुस्तफ़ीद हुए।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि इरशाद फ़रमाते हैं कि एक दिन में और मेरे वालिद हज़रत ग़ौस पाक रहमतुह अल्लाह अलैहि जुमा की नमाज़ पढ़ने के लिए बाहर निकले रास्ते पर देखा कि ख़लीफ़ा वक़्त के लिए एक सिपाही जानवरों पर शराब लादे हुए जा रहा है। हज़रत ग़ौस पाक रहमतुह अल्लाह अलैहि को कशफ़ के ज़रीए मालूम होगया कि इन में शराब है। इस लिए सिपाहीयों को आवाज़ दी मगर सिपाहीयों ने मारे ख़ौफ़-ओ-नदामत के रुकना मुनासिब ना समझा। चुनांचे हज़रत ग़ौस पाक रहमतुह अल्लाह अलैहि ने जानवरों से मुख़ातब होकर फ़रमाया कि ख़ुदा के हुक्म से रुक जाओ। जानवर फ़ौरन खड़े होगए। सिपाहीयों ने लाख कोशिश की लेकिन जानवर अपनी जगह से ना हल्ले और सिपाहीयों को फ़ौरन मर्ज़ क़ूलंज ने पकड़ लिया जिस की वजह से वो तड़पने लगे और फ़र्याद करने लगे कि हम आइन्दा ऐसी हरकत नहीं करेंगे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने दुआ फ़रमाई जिस से मर्ज़ क़ूलंज दूर होगया और शराब सरका में तबदील होगई। जब ये ख़बर ख़लीफ़ा वक़्त को पहुंची तो वो भी शराबनोशी से ताअब होगया।
बहजता अलासरार में हज़रत अबदूर्रज़्ज़ाक़ रहमतुह अल्लाह अलैहि के इश्क़-ए-हक़ीक़ी और आला तरीन मरातिब-ए-क़ुरब-ए-इलाही के बयान में हज़रत अब्बू ज़रा ज़ाहिर बिन मुहम्मद उल-मुक़द्दस अलदारी रहमतुह अल्लाह अलैहि की एक रिवायत मज़कूर है। वो फ़रमाते हैं कि एक बार में हज़रत-ए-शैख़ अबदुलक़ादिर जीलानी रज़ी अल्लाह अनहॗ की मजलिस-ए-वाज़ में हाज़िर था। वाज़ के दौरान आप रज़ी अल्लाह अनहॗ ने फ़रमाया मेरी मजलिस में ऐसे लोग भी हाज़िर हैं जो जबल-ए-क़ाफ़ क़ुदस के पार रहते हैं और जिन के क़दम उस वक़्त हवा में हैं। शिद्दत-ए-शौक-ए-इलाही से उन के जुब्बे और उन के सुरों पर इश्क़-ए-इलाही के सुलतानी ताज जल रहे हैं। इसवक़्त आपओ के बड़े फ़र्ज़ंद अबदूर्रज़्ज़ाक़ क़ुदस सरहॗ उल-अज़ीज़ उस मजलिस में हाज़िर थे और आपओ की करसई वाज़ के बिलकुल पास ही आपओ के क़दम मुबारक के क़रीब ही बैठे थे। जूंही हज़रत अबदुलक़ादिर जीलानी रज़ी अल्लाह अनहॗ ने ये कलाम फ़रमाया हज़रत अबदूर्रज़्ज़ाक़ रहमतुह अल्लाह अलैहि ने सर उठा कर आसमान की तरफ़ देखा और एक लहज़ा यूंही आसमान की तरफ़ टिकटिकी बांध कर देखते रहे। यहां तक कि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि बेहोश हो गए और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के जुब्बे और दस्तार मुबारक को आग लग गई। हज़रत पीर दस्तगीर क़ुदस सरहॗ उल-अज़ीज़ ने करसई वाज़ से नीचे उतर कर अपने हाथों से आग बुझा कर फ़रमाया ए अबदूर्रज़्ज़ाक़ तुम भी इन में से ही हो। अब्बू ज़रा रहमतुह अल्लाह अलैहि फ़रमाते हैं कि मजलिस-ए-वाज़ ख़त्म होने के बाद मैंने पैर अबदूर्रज़्ज़ाक़ क़ुदस सरहॗ से इस मुआमले की हक़ीक़त और उन की कैफ़ीयत के मुताल्लिक़ पूछा तो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया कि जब मैंने आसमान की तरफ़ देखा तो मैंने फ़िज़ा में चंद रुहानी और नूरानी लोगों को देखा कि शौक-ए-इलाही से उन के जुब्बे और ताज शोला बार हैं और वो हवा में इधर उधर चक्कर लगाते थे और रक़्स करते थे और दर्द-ओ-मुहब्बत-ए-इलाही से बादलों की तरह गरजते थे। उन के देखने से मेरी भी वही हालत हो गई।
हज़रत सय्यद अबदूर्रज़्ज़ाक़ रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने वक़्त के क़ादिर-उल-कलाम अदीब और अनशाइपरदाज़ थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की जुमला तसानीफ़ का तज़किरा अक्सर तज़किरों में नहीं मिलता। सिर्फ़ एक किताब का सबूत तारीख़ से मिलता है जिस का नाम जलाला अलखवा तर है। इस में आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने अपने वालिद माजिद हज़रत ग़ौस पाक रहमतुह अल्लाह अलैहि के मामूलात-ए-ज़िंदगी और मलफ़ूज़ात दर्ज किए हैं।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के पाँच साहबज़ादे और दो साहिबज़ इदेहयाँ थीं। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के पांचवें यानी सब से छोटे साहबज़ादे जिन का नाम हज़रत सय्यद जमाल अल्लाह रहमतुह अल्लाह अलैहि है उन के बारे में कहा जाता है कि ये हो बा हो हज़रत ग़ौस पाक रहमतुह अल्लाह अलैहि के मुशाबेह थे और हज़रत ग़ौस पाक रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने इस पोते से बेपनाह उलफ़त-ओ-मुहब्बत का इज़हार फ़रमाते थे और कलबी मुहब्बत रखते थे। इस लिए ग़ौस रहमतुह अल्लाह अलैहि ने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को दराज़ी उम्र की दुआ फ़रमाई। कहते हैं कि हज़रत सय्यद जमाल अल्लाह आज भी ज़िंदा हैं और हयात अलमीर के नाम से मशहूर हैं।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के बेशुमार ख़ुलफ़ा थे। चंद मशहूर ख़ुलफ़ा के इस्म गिरामी ये हैं। हज़रत शरफ़ उद्दीन क़िताल रहमतुह अल्लाह अलैहि , हज़रत सय्यद अब्बू सालिह नस्र रहमतुह अल्लाह अलैहि और हज़रत सय्यद शेख़ जमाल अल्लाह रहमतुह अल्लाह अलैहि ।
हज़रत सय्यद अबदूर्रज़्ज़ाक़ रहमतुह अल्लाह अलैहि ६ शवाल अलमकरम ६२३हिज्री को इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। जब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की नमाज़ जनाज़ा का ऐलान हुआ तो कहते हैं कि लोगों का इस क़दर हुजूम होगया कि सारे लोग जनाज़े में शरीक ना होसकते थे इस लिए पहली बार आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की नमाज़ जनाज़ा ईदगाह में बग़दाद शहर के बाहर हुई। दूसरी बार जामि रसाफ़ा तीसरी बार तर बत्ता अलख़लफ़ा छूती बार दरयाए दजला के किनारे ख़ज़रीन के पास पांचवें बार बाबाए तहरीम में छुट्टी बार जबरीया में और सातवें बार हज़रत इमाम अहमद बिन हनबल रहमतुह अल्लाह अलैहि के मक़बरा के पास हुई।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का मज़ार अक़्दस हज़रत इमाम अहमद बिन हनबल रहमतुह अल्लाह अलैहि के मक़बरा बग़दाद शरीफ़ में दरयाए दजला के किनारे था। दरयाए दजला की तुग़यानी और कटाऊ की वजह से अब ये दोनों मज़ार नापैद होचुके हैं। जिस वक़्त दाराशिकोह रहमतुह अल्लाह अलैहि ने सफ़ीनता औलिया लिखी उस वक़्त आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का मज़ार ठीक हालत में था और इस का तज़किरा दाराशिकोह रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इन अलफ़ाज़ में किया है कि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का मज़ार शरीफ़ बग़दाद में है।